
- 2023 में पहली बार हैरियर में मिला थ एडास
- मौजूदा समय में हैरियर बौर सफारी में है उपलब्ध
टाटा मोटर्स ने भारत में एडास फ़ीचर्स को जिस तरह अपनाया और डेवलप किया है, अब वही अनुभव कंपनी की ग्लोबल स्ट्रैटेजी का हिस्सा बनने जा रहा है। टाटा मोटर्स के चीफ़ प्रॉडक्ट ऑफ़िसर और वाइस प्रेसिडेंट मोहन सावरकर ने एक इंटरव्यू में बताया कि, भारत में मिले एडास इक्सपीरियंस को कुछ मामूली बदलावों के साथ दुनिया के बाक़ी बाज़ारों में भी लागू किया जा सकता है।
भारत में बना, दुनिया के लिए तैयार

टाटा मोटर्स ने 2023 में सबसे पहले हैरियर में एडास फ़ीचर्स देना शुरू किया था। आज ये टेक्नोलॉजी हैरियर, सफारी, कर्व और कर्व ईवी में उपलब्ध है। आने वाले समय में कंपनी इसे अपने अन्य मॉडल्स जैसे सिएरा, सिएरा ईवी और हैरियर ईवी (जो 3 जून को लॉन्च होगी) में भी शामिल करने वाली है।
मोहन सावरकर के अनुसार, टाटा का पूरा एडास सिस्टम भारत में ही डिज़ाइन और डेवेलप किया गया है, जिससे यह दुनिया के पहले लोकल-डेवलप्ड सिस्टम्स में से एक बन गया है।
भारतीय ट्रैफ़िक से मिली अनोखी सीख

भारत जैसे देश में जहां ट्रैफ़िक का कोई तय फ़ॉर्मेट नहीं होता, वहां एडास टेक्नोलॉजी को तैयार करना आसान नहीं था। उन्होंने दो रोचक उदाहरण दिए:
पहला, जब एक ही दोपहिया वाहन पर तीन लोग बैठे हों (ट्रिपल-सीट राइडिंग)
और दूसरा, जब कोई पैदल व्यक्ति सड़क पर बाइक लेकर चल रहा हो, यानी तकनीकी रूप से वह पैदल भी है और वाहन भी साथ है।
इन चैलेंजिंग और अनोखे ट्रैफ़िक पैटर्न्स के कारण भारत ने एडास डेवलपमेंट में एक रियल-वर्ल्ड लैब की तरह काम किया है।

तेजी से बढ़ती स्वीकार्यता
जहां पश्चिमी देशों में एडास अपनाने में कई साल लगे, वहीं भारत में यह ट्रांजिशन आधा समय भी नहीं लिया। यही वजह है कि, टाटा अब इस टेक्नोलॉजी को अपने पूरे लाइनअप में उतारने की तैयारी कर रहा है।
जल्द सभी टाटा कार्स में मिलेगा एडास
टाटा मोटर्स का प्लान है कि, एडास को धीरे-धीरे अपने बाकी मॉडल्स में भी इंटीग्रेट किया जाए, ताकि हर सेग्मेंट के ग्राहकों को सेफ़्टी और ड्राइविंग कम्फ़र्ट मिल सके, चाहे वो ईवी हो या आइस कार।

निष्कर्ष
टाटा ने एडास सिर्फ़ एक फ़ीचर की तरह नहीं, बल्कि एक स्थानीय चुनौती से निकला हुआ, दुनिया के लिए उपयोगी समाधान बनाया है। भारत की जमीनी सड़कों से शुरू हुई यह टेक्नोलॉजी अब ग्लोबल स्तर पर अपनी जगह बना रही है और इसका पूरा श्रेय जाता है टाटा की इंजीनियरिंग, विज़न और भारत जैसे डाइवर्स देश में काम करने की काबिलियत को।
अनुवाद: गुलाब चौबे